मैंने यह फोटो खीची और मुझे बोहोत पसंद आई। यह सूरज जो पेड़ की टहनियों के बीच में से झाँक सा रहा है , इसकी तरफ़ से यह कविता है।
जला कर राख कर दूंगा तुमको
मुझसे न मज़ाक करो
मेरे आने से रौशन जहाँ होता
मुझे आज़ाद करो ।
मेरा वक़्त कीमती बोहोत
इसे ना जाया करो
इंतज़ार में मेरे कितने मुल्क
मुझे आज़ाद करो ।
रात को दिन मैंने किया
मुझे न गुमराह करो
जिंदगी प्यारी है अगर तुमको
मुझे आज़ाद करो ।
बहुत सुंदर चित्र है.
ReplyDeleteकैद में सूरज कैसे सितारे सा दिखता है
आज़ादी के बिना कैसे मुरझाया सा दीखता है
रात को दिन मैंने किया
ReplyDeleteमुझे न गुमराह करो
जिंदगी प्यारी है अगर तुमको
मुझे आज़ाद करो ।
बहुत ही सुलझा हुआ .....सही पहचान सूरज की...खूबसूरत....
सुन्दर भावात्मक अभिव्यक्ति
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