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Thursday, January 29, 2009

क्या हम क्या तुम

मेरे दोस्त हजारों की गिनती में थे
मेरे शौक रहीसों के शौकों में थे
अरमान आसमान को छूते से थे
रुतबे गुरूर में चूर यूं थे।
शोहरत से प्यार ऐसा हुआ
होश तो जैसे खो ही दिया
ख्वाहिशों ने मुझको घेर यूं लिया
उनका गुलाम मैं बनता गया।
हाथों से वक़्त फिसलता गया
मेरी आंखों पे परदा सा पड़ता गया
मैं बाज़ी पे बाज़ी तो जीतता गया
पर ख़ुद से जुदा हो कर रह गया।
अब था वक़्त बोहोत पास मेरे
ख़ुद से मुलाक़ात के अरमान थे मेरे
मेरे ख़ुद ने मुझे कुछ भुला यूं दिया
मेरे वक़्त ने मुझे अब वक़्त न दिया
नाम भी गुम , काम भी गुम
पैसा भी गुम, वो दोस्त भी गुम
धोखा है सब , मत करो गुमान
है माटी सब माटी , क्या हम ..क्या तुम।

Tuesday, January 6, 2009

कमबख्त मुझे तू जीने दे ।


ऐ दिल तू अब बस भी कर
ख्वाहिश को अपनी ख़त्म कर
ना चाह को तू अब बढ़ने दे
कमबख्त मुझे तू जीने दे
खुशी की सरहद दूर बोहोत
ग़मों का सागर गहरा बोहोत
ना सोच तू अब , बस रहने दे
कमबख्त मुझे तू जीने दे ।

ये भी लेले , वो भी पाले ,
बस मांगे मांगे जाता है
सबर के बाँध को अब कस दे
कमबख्त मुझे तू जीने दे ।

Friday, January 2, 2009

चलो फिर एक साल और बीता


आंखों में नमी
लबो पे मुस्कान
खुश हों या मायूस
अजब है दास्तान ।
एक और रात आई
एक और दिन बीता
झूमते हो खुशी में
चलो फिर एक साल और बीता

करीब मंजिल के आगये हो
वक़्त जीकर भी गवां गए हो
काफ़ी है खोया कुछ तोह है जीता
चलो फिर एक साल और बीता

क्या है नया क्या पुराना
गौर फरमाकर मैंने ये देखा
वही है राम वही तो है सीता
चलो फिर एक साल और बीता ।
आगया मैं करीब खुदा और तेरे
जिंदगी ढलने को है , वक़्त कम अब पास मेरे
जाम पे जाम फिर भी मैं पीता
चलो फिर एक साल और बीता