मन का घोड़ा तेज़ बोहोत
बिन सोचे ही उड़ जाता है
लहर लहर लहराता है
हो मस्त ख़ुद पे इतराता है ।
बचो इससे , है नासमझ बोहोत
दौड़ दौड़ रुक जाता है
नशेडी से कदम बढाता है
मनो नृत्य कोई दिखलाता है ।
मन के घोडे की एक लगाम
ज़ोर से अब तुम लो थाम
काबू में गर रखना हो इसे
ढील देने में लो दिमाग से काम ।