मैंने यह फोटो खीची और मुझे बोहोत पसंद आई। यह सूरज जो पेड़ की टहनियों के बीच में से झाँक सा रहा है , इसकी तरफ़ से यह कविता है।
जला कर राख कर दूंगा तुमको
मुझसे न मज़ाक करो
मेरे आने से रौशन जहाँ होता
मुझे आज़ाद करो ।
मेरा वक़्त कीमती बोहोत
इसे ना जाया करो
इंतज़ार में मेरे कितने मुल्क
मुझे आज़ाद करो ।
रात को दिन मैंने किया
मुझे न गुमराह करो
जिंदगी प्यारी है अगर तुमको
मुझे आज़ाद करो ।