
आंखों में नमी
लबो पे मुस्कान
खुश हों या मायूस
अजब है दास्तान ।
लबो पे मुस्कान
खुश हों या मायूस
अजब है दास्तान ।
एक और रात आई
एक और दिन बीता
एक और दिन बीता
झूमते हो खुशी में
चलो फिर एक साल और बीता ।
चलो फिर एक साल और बीता ।
करीब मंजिल के आगये हो
वक़्त जीकर भी गवां गए हो
काफ़ी है खोया कुछ तोह है जीता
चलो फिर एक साल और बीता ।
क्या है नया क्या पुराना
गौर फरमाकर मैंने ये देखा
वही है राम वही तो है सीता
चलो फिर एक साल और बीता ।
आगया मैं करीब खुदा और तेरे
जिंदगी ढलने को है , वक़्त कम अब पास मेरे
जाम पे जाम फिर भी मैं पीता
चलो फिर एक साल और बीता ।
जिंदगी ढलने को है , वक़्त कम अब पास मेरे
जाम पे जाम फिर भी मैं पीता
चलो फिर एक साल और बीता ।
sundar bhavabhivyakti.
ReplyDeletenav varsh mangalmay ho.
bhav achhe hai naya saal mubarak
ReplyDelete