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Tuesday, December 30, 2008

दान से पुण्य के नाम पर



भगवान का नाम रटता जा ,
पाप पे पाप तू करता जा ,
मन्दिर की घंटी बजादे बस
फिर चैन से रात भर सोता जा ।

क्या हम अन्दर से चोर नही
भगवान् को धोखा देते है
दान से पुण्य के नाम पर
पापों को धोया करते है ।
बुजुर्ग
है क्या , उसकी इज्ज़त क्या
अरमान का कत्ल तो रोज़ करते है
चंद कागज़ के तुकरे ये क्या
इन्ही पे जिंदा रहते है ।
अफ़सोस नही दुःख दर्द है क्या
बिन बात पे रोया करते है
समझ नही जीवन है क्या
पर मरने से हम डरते है ।
गरीब है क्या उसकी भूख है क्या
इन सब से अनजान हम बनते है
रूह तो कबकी मार दी मगर
इंसान भी अधूरे लगते है ।
दान से पुण्य के नाम पर
पापों को धोया करते है ।

3 comments:

  1. नववर्ष की ढेरो शुभकामनाये और बधाइयाँ स्वीकार करे . आपके परिवार में सुख सम्रद्धि आये और आपका जीवन वैभवपूर्ण रहे . मंगल कामनाओ के साथ .धन्यवाद.

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  2. नव वर्ष की आप और आपके समस्त परिवार को शुभकामनाएं....
    नीरज

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  3. बहुत अच्छा िलखा है आपने । जीवन और समाज की िवसंगतियों को यथाथॆपरक ढंग से शब्दबद्ध किया है । नए साल में यह सफर और तेज होगा, एेसी उम्मीद है ।

    नए साल का हर पल लेकर आए नई खुशियां । आंखों में बसे सारे सपने पूरे हों । सूरज की िकरणों की तरह फैले आपकी यश कीितॆ । नए साल की हािदॆक शुभकामनाएं-

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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