मंझर सुनसान हो ,
खौफ के पसीने से
कुछ सहमे और परेशान हो ।
जब टूटे सब ख्वाब हो
अपने नाराज़ हो
हमदम ना पास हो
तन्हाई का साथ हो ।सोच लेना उस पल तुम
जिसने तुम्हे बनाया है
जिसकी तुम रचना हो
जिसने ये जहाँ बसाया है ।
दिखता नही आँखों से वो
मज़बूत बहुत वो साया है
आता नही सामने मगर
तुम्हारे अन्दर घर बसाया है ।
साँसों को साँस बनाया है
आँखों को जहाँ दिखाया है
दिल में एहसास को समाया है
इंसान को इंसान बनाया है
मांगो उसे जो चाहे तुम ,
बस देता ही देता आया है ।
मौसम बदल जाते है
अपने पलट जाते है
वक़्त को पकड़ पाया है कौन
चेहरे के रंग बदल जाते है ।
समझ सके तू समझ ले आज
बस एक ही वोह अजूबा है
जिसको तुमने पूजा है
जिसकी हमसब रचना हैं
जिसने हमें बनाया है ।
जिस्म तोह एक जरिया है
मकसद उस तक पोहोंचना है
ज़रिये से कर प्यार तू मत
आगे तुझे तोह बढ़ना है ।महिमा का एक जाल है ये ,
चीर के इसे निकलना है ।
उसमे जाकर मिलना है
जिसने तुझे बनाया है
जिसकी हम सब रचना है ,
जिसने ये जहाँ बसाया है ।
जिसकी हम सब रचना है ,
जिसने ये जहाँ बसाया है ।
Waah ! Sundar shashvat bhaav....bahut bahut sundar rachna!
ReplyDeleteअति सुंदर....बहुत उत्तम शब्द संयोजन और कमाल के भाव...बधाई
ReplyDeleteनीरज
सुंदर कविता .... वाह
ReplyDeletebahut sundar bhav
ReplyDeleteबेहतरीन-बहुत बढ़िया. बधाई.
ReplyDeleteChaturvedi ji bahut achha likha hai aapne
ReplyDeleteमौसम बदल जाते है
अपने पलट जाते है
ye sab samay samay ki baten hoti
hai
waqt kisiko kya banadeta hai yeh kisi ko nahi pata
बहुत प्रभावशाली और यथाथॆपरक रचना है । आपकी पंिक्तयां वास्तिवकता को िजस सुंदर तरीके से अिभव्यक्त करती हैं, वह बडा हृदयस्पशीॆ है । भाव और िवचार के समन्वय ने रचना को मािमॆक बना िदया है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है- आत्मिवश्वास के सहारे जीतंे िजंदगी की जंग-समय हो पढें और प्रितिक्रया भी दें-
ReplyDeletehttp://www.ashokvichar.blogspot.com
दिल के कुछ एहसास शब्दों के रूप में सामने आए हैं ! ये आपको सोचने के लिए बाध्य भी करते हैं ! आशा है आपको और पढने का मौका मिलेगा
ReplyDeletebahut sundar abhivyakhti aur shabdo ko shaandar sanyojan ..
ReplyDeleteaapne bahut accha likha hai , badhai .
vijay
pls visit my blog : http://poemsofvijay.blogspot.com/
Beautiful words
ReplyDeleteamazing thoughts ...loved the flow , Kartik
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