मौत से इतनी नफरत न होती , गर जो ये आने वाली न होती
पर ज़िन्दगी क्या इतनी खूबसूरत होती, गर जो ये जाने वाली न होती।ज़िन्दगी को नाम ज़िन्दगी बनाया है मौत नें
गर मौत ही न होती, तो जिंदगी क्या खाक ज़िन्दगी होती।ख़त्म हो जाने की मन्नत तू करता ,
गर उमर इतनी लम्बी जो होती । मौत चंद किस्मत वालों को मिलती,
और ज़मीन पे ज़िन्दगी की कदर न होती।मौत ने जान डाली है इसमे,
गर ये ना आती , तो वो इतनी हसीन न होती।मौत तो है जिस्म ख़त्म करती, रूह तेरी यहीं पर होती
गर जिस्म ही ख़त्म न होते , तो ये ज़मीन छोटी पड़ रही होती। जिस्म तो हर पल है मर रहा, जान तो रूह में हमेशा है होती,
काम ले जिस्म से , पर दोस्ती तो रूह से है होती। सोचेगा तब जब देर हो चुकी होगी
के काश मेरी रूह से मेरी जान पहचान होती ।
पर ज़िन्दगी क्या इतनी खूबसूरत होती, गर जो ये जाने वाली न होती।ज़िन्दगी को नाम ज़िन्दगी बनाया है मौत नें
गर मौत ही न होती, तो जिंदगी क्या खाक ज़िन्दगी होती।ख़त्म हो जाने की मन्नत तू करता ,
गर उमर इतनी लम्बी जो होती । मौत चंद किस्मत वालों को मिलती,
और ज़मीन पे ज़िन्दगी की कदर न होती।मौत ने जान डाली है इसमे,
गर ये ना आती , तो वो इतनी हसीन न होती।मौत तो है जिस्म ख़त्म करती, रूह तेरी यहीं पर होती
गर जिस्म ही ख़त्म न होते , तो ये ज़मीन छोटी पड़ रही होती। जिस्म तो हर पल है मर रहा, जान तो रूह में हमेशा है होती,
काम ले जिस्म से , पर दोस्ती तो रूह से है होती। सोचेगा तब जब देर हो चुकी होगी
के काश मेरी रूह से मेरी जान पहचान होती ।
बहुत ख़ूब..
ReplyDelete---
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गुलाबी कोंपलें
aakhiri vaala pasand aaya....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता .. शब्दों का अहसास मन में गूंजता हुआ ..
ReplyDeleteबधाई
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
These are highly rare but essential thoughts for living. I simply loved it.
ReplyDeleteThank YOU!
Congratulations!
Om