पानी की ये बूँद अगर
सागर से मिले तो अमर बने
अपना अस्तित्व पर खो बैठे ।
पत्ते पे अगर ये जा गिरे
सूरज की किरण से दमक उठे
पर कुछ पल में ही सूख मरे ।
पानी की ये बूँद अब क्या करे
खो बैठे अपने अस्तित्व को ये
या पत्ते पर दमक कर मर मिटे ?
अमर रही गुमराह सही , सागर में बेनाम सही
जीती तो रही पर आम सही , क्या ऐसा जीवन ही है सही ?
पत्ते पे रही अकेली सही , हिम्मत की पोटली भारी रही
कुछ पल दमक कर मर वो गई , क्या ऐसा जीवन ही है सही ?
गर हर बूंद ये सोच उठे , सागर से मिल हो अमर बनू
सागार तो भर भर जाएगा , पर इधर सूखा पड़ जाएगा ।
गर हर बूंद ये सोच उठे दमक दमक मैं चमक उठू
अकेले बैठ इस पत्ते पे , मैं रानी बन यूं राज करू
सागर खली हो जाएगा , पत्ता पेड़ समेत दूब जाएगा ।
कोई तो दे इस बूँद को राह सही
जो ख़त्म हो इसके सवाल सभी
मैं तो कुछ भी न सूझा पायी
ख़ुद अबतक राह तलाश रही ।
सागर से मिले तो अमर बने
अपना अस्तित्व पर खो बैठे ।
पत्ते पे अगर ये जा गिरे
सूरज की किरण से दमक उठे
पर कुछ पल में ही सूख मरे ।
पानी की ये बूँद अब क्या करे
खो बैठे अपने अस्तित्व को ये
या पत्ते पर दमक कर मर मिटे ?
अमर रही गुमराह सही , सागर में बेनाम सही
जीती तो रही पर आम सही , क्या ऐसा जीवन ही है सही ?
पत्ते पे रही अकेली सही , हिम्मत की पोटली भारी रही
कुछ पल दमक कर मर वो गई , क्या ऐसा जीवन ही है सही ?
गर हर बूंद ये सोच उठे , सागर से मिल हो अमर बनू
सागार तो भर भर जाएगा , पर इधर सूखा पड़ जाएगा ।
गर हर बूंद ये सोच उठे दमक दमक मैं चमक उठू
अकेले बैठ इस पत्ते पे , मैं रानी बन यूं राज करू
सागर खली हो जाएगा , पत्ता पेड़ समेत दूब जाएगा ।
कोई तो दे इस बूँद को राह सही
जो ख़त्म हो इसके सवाल सभी
मैं तो कुछ भी न सूझा पायी
ख़ुद अबतक राह तलाश रही ।
bohot hi khoooob.
ReplyDeletekoi boondh ko kya salah deab,bahut sundar tarike se kavita likhi hai,lajawaab badhai
ReplyDeletebahut khubsurat.
ReplyDeletegar kabhi waqt mile to mere blog par aayen.www.salaamzindadili.blogspot.com
पानी की बूँद के माध्यम से जीवन को टटोलती आपकी कविता सुंदर लगी.
ReplyDeleteकोई तो दे इस बूँद को राह सही ,
ReplyDeleteजो ख़त्म हों इसके सवाल सभी.....
मन की गहरी भावनाओं का बड़े सलीके से किया गया
बहुत उम्दा इज़हार .........
बधाई..............................
---मुफलिस---
पानी की बूंद को अपना प्रतीक बना के जो रचना की है. उसका कोइ जवाब नहीं. में अभी तक सोच रहा हूँ के जवाब क्या है. इसके लिए ***** (5Star)
ReplyDeleteI have no word to say actually speechless. The pain of poet visible in every word ,in other words it refelects a women who try to continue or make her presence in every situations. All the very best
ReplyDeleteMannkahii
प्रभावी और मार्मिक रचना।
ReplyDeleteआशा करता हूँ, " बूँद की राह " भी आप लोगों को पसंद आएगी।
ऐ बूँद तू मेरी बात तो सुन
या तलाश खुद का अस्तित्व, या जीवन चुन
जो सागर में तू मिल जाए, प्रभुत्व स्वयं का घुल जाए
जो पत्ते पे तू जा बैठी, तू सूख अस्तित्व गवां बैठी
अब जीवन चुनने का प्रण तू कर
निसंकोच मनु-कंठ वरण तू कर
प्यासों की प्यास बुझा तू , जीवन दायनी कहला तू
यूँ अमर बना अस्तित्व तेरा , विद्यमान रहा प्रभुत्व तेरा।
काश बूँद को राह मिल जाए, अब "अज्ञानी" क्या बतलाये।