Search This Blog

Wednesday, May 14, 2008

एक काम अभी भी बाकी है




सब ख्वाब तोअब पूरे हुए,
सब क़र्ज़ भी अब चुकते हुए,
ले चलो मुझे अब जहाँ भी तुम,
आज से हम तुम दोस्त हुए।


ऐ दोस्त मुझे कुछ याद आया,
तू चल आगे, मैं पीछे आया,
एक काम अभी भी बाकी है,
पूरा करके बस यूं आया।


काम वो अब पूरा हुआ,
चल दोस्त , मैं संग तेरे हुआ,
ना लौट के वापस देखूंगा,
मेरा तुझसे वादा ये हुआ।


पर शक्ल किसी की आंखो में,
घूमती है हर पल मेरे,
एक झलक मैं लेकर आता हूँ,
आखिरी बार मिल आता हूँ।


कह दो मेरे उस दोस्त से तुम,
क्यों मुझको लेने आया है,
जीवन अभी प्यारा मुझे,
क्यों मौत का साया लाया है।


मोह ना कर दुनिया से तू,
ये तो सब कुछ बस धोखा है,
सच है खड़ा सामने तेरे ,
जिसको तूने रोका है।


आ लग जा गले , चल संग मेरे,
फिर देख तमाशा ऊपर से ,
क्यों मरने से डरता है,
कितने बहाने करता है।

जिस पल सच को जान लिया,
सब कुछ ख़ुद त्यागेगा तू,
मौत तो राह अनंत की है,
मरकर ही तो जानेगा तू।।


2 comments:

  1. oh my god....this poem is so touching.....

    ReplyDelete
  2. Hey you have a great blog, i want to give you Free advertising for it on my website www.swaggerspot.com so that you can get more people on your blog.

    ReplyDelete