पाप पे पाप तू करता जा ,
मन्दिर की घंटी बजादे बस
फिर चैन से रात भर सोता जा ।
भगवान् को धोखा देते है
दान से पुण्य के नाम पर
पापों को धोया करते है ।
बुजुर्ग है क्या , उसकी इज्ज़त क्या
अरमान का कत्ल तो रोज़ करते है
चंद कागज़ के तुकरे ये क्या
इन्ही पे जिंदा रहते है ।
बिन बात पे रोया करते है
समझ नही जीवन है क्या
पर मरने से हम डरते है ।
इन सब से अनजान हम बनते है
रूह तो कबकी मार दी मगर
इंसान भी अधूरे लगते है ।