मेरे दोस्त हजारों की गिनती में थे
मेरे शौक रहीसों के शौकों में थे
अरमान आसमान को छूते से थे
रुतबे गुरूर में चूर यूं थे।
शोहरत से प्यार ऐसा हुआ
होश तो जैसे खो ही दिया
ख्वाहिशों ने मुझको घेर यूं लिया
उनका गुलाम मैं बनता गया।
हाथों से वक़्त फिसलता गया
मेरी आंखों पे परदा सा पड़ता गया
मैं बाज़ी पे बाज़ी तो जीतता गया
पर ख़ुद से जुदा हो कर रह गया।
अब था वक़्त बोहोत पास मेरे
ख़ुद से मुलाक़ात के अरमान थे मेरे
मेरे ख़ुद ने मुझे कुछ भुला यूं दिया
मेरे वक़्त ने मुझे अब वक़्त न दिया।
नाम भी गुम , काम भी गुम
पैसा भी गुम, वो दोस्त भी गुम
धोखा है सब , मत करो गुमान
है माटी सब माटी , क्या हम ..क्या तुम।
है माटी सब माटी , क्या हम ..क्या तुम।