राधा जी भगवान् श्री कृष्ण के मोर पंख को अपने पास रखती है। उसको देख देख कर भगवान् श्री कृष्ण को याद करती रहती है। यह राधा जी की कलाकृति मैंने कुछ समय पहले बनायी थी, लेकिन यह कविता आज ही मन में आई। यह राधा जी की तरफ़ से है।
मुझको नहीं , मेरी आँखों को है ,
मुझको नहीं , मेरी साँसों को है ,
इंतज़ार तुम्हारा ये हर पल का
मुझको नही मेरे दिल को है ।
मुझको नहीं , मेरी साँसों को है ,
इंतज़ार तुम्हारा ये हर पल का
मुझको नही मेरे दिल को है ।
मोर पंख सा ये दिखता जो है ,
मेरे मन को इतना तडपता क्यों है
रंगों को अपने बिखेर बिखेर
तुम्हारी याद दिलाता क्यों है । हवा के साथ उड़ जाता क्यों है
फिर कुछ दूर पर रुक जाता क्यों है
मन दौड़ के उसको उठाता क्यों है
समेटे करीब मुस्कुराता क्यों है ।
कितने पल और काटूँ अब मैं
यादों में तेरी कितना जागूँ अब मैं
तुम्हारी ये अमानत अब भारी बोहोत
देनी है वापस , सहेजी बोहोत ।
बस इस लिए बेचैनी सी है
कुछ ख़ास नही , मामूली सी है
मोर पंख ये अपना लेलो अब तुम
चैन वोह मेरा देदो अब तुम। पर बात ये ज़रूरी और पक्की सी है
की मुझको नही मेरी आँखों को है
मुझको नही मेरी साँसों को है
इंतज़ार तुम्हारा हर पल का ये
मुझको नही मेरे दिल को है ।
चित्र और कविता दोनों बहुत सुंदर है ..राधा कृष्ण नाम ही प्रेम है जिसके बारे में सोचते ही इतना सुंदर ख्याल उमड़ आता है ..बहुत बढ़िया लगा चित्र के साथ सुंदर लफ्जों का मेल
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्तिपूर्ण रचना बढ़िया चित्र प्रस्तुति बधाई
ReplyDeletedonon kalaon ka adbhut mishran. sunder. swapn
ReplyDeleteकलाकृति भी अदभुत तथा साधारण शब्दों में
ReplyDeleteआसाधारण भाव प्रेषित करती है आपकी लेखनी भी। बहुत ही उम्दा रचना है।
दिल को छू गई आपकी राधा की बातें.......सच....!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता है और चित्र भी बहुत सुंदर बनाया है आपने...... बधाई. ज्योतिष के अनुसार कृष्ण की राशि "वृषभ" और राधा की "वृश्चिक" थी. इन दोनों राशियों के व्यक्तियों में अगाध प्रेम होता है. राधा तो प्रेम की जीवंत अभिव्यक्ति हैं आपने उस अभिव्यक्ति को सार्थक शब्द दिए हैं....
ReplyDeleteसादर-
आनंदकृष्ण, जबलपुर.
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